
बच्चे के जन्म के बाद भी महिला मातृत्व अवकाश की हकदार: इलाहाबाद हाईकोर्ट

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने एक ऐतिहासिक फैसला दिया है जिसके तहत विभिन्न संवैधानिक न्यायलयों द्वारा तय किए गए कानून के तहत बच्चे को जन्म देना महिला का मौलिक अधिकार है. किसी भी महिला को उसके अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए स्नातक और परास्नातक छात्राओं के लिए मातृत्व अवकाश (Maternity Leave) और उससे जुड़ी सुविधाओं को लेकर विश्वविद्यालयों, कॉलेजों के लिए नई व्यवस्था निर्धारित की है. सौम्या तिवारी की ओर से दाखिल याचिका पर मामले की सुनवाई जस्टिस अजय भनोट की एकल खंडपीठ कर रही थी.
हाईकोर्ट ने एपीजे अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय लखनऊ द्वारा अंडर ग्रेज्युएट छात्राओं को मातृत्व लाभ देने के लिए नियम बनाने का निर्देश दिया जिसमें छात्राओं के बच्चे को जन्म देने के पूर्व और जन्म देने के बाद सहयोग करने और अन्य मातृत्व लाभ शामिल हों. तथा छात्राओं को परीक्षा पास करने के लिए अतिरिक्त अवसर व समयावधि बढ़ाने के नियम हों. सौम्या तिवारी की ओर से दाखिल याचिका पर मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति अजय भनोट की एकल खंडपीठ कर रही थी.
“संसद द्वारा ये प्रावधान यह सुनिश्चित करने के लिए किए गए हैं कि एक बच्चे की डिलीवरी के कारण कार्यस्थल से दूर एक महिला की अनुपस्थिति उस अवधि के लिए या उस अवधि के लिए उस मामले के लिए मजदूरी प्राप्त करने की उसकी पात्रता में बाधा न बने, जिसके दौरान वह बच्चे के जन्म के बाद उसकी देखभाल के लिए छुट्टी दी जानी चाहिए।