भारत में पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों के लिए एक नई योजना का आगाज हुआ है, जिसे प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना कहा गया है। इस योजना के माध्यम से, सरकार उन कारीगरों और शिल्पकारों को आर्थिक सहायता प्रदान करने का प्रयास कर रही है जो अपने पारंपरिक व्यवसायों से जुड़े हुए हैं, लेकिन आधुनिक तकनीकी बदलावों के कारण उनका काम प्रभावित हो रहा है। इस योजना का उद्देश्य इन कारीगरों को एक नये जीवन की दिशा प्रदान करना है और उन्हें वित्तीय रूप से सशक्त बनाना है।
योजना में शामिल किए गए 18 पारंपरिक व्यवसाय
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना में कुल 18 पारंपरिक व्यवसायों को शामिल किया गया है, जिनमें सुनार, लोहार, नाई, चर्मकार, बढ़ई, मोची, कुम्हार, दर्जी आदि शामिल हैं। इन व्यवसायों से जुड़े लोग जिन्हें आधुनिक मशीनों और तकनीकी बदलावों से समस्या हो रही है, इस योजना का लाभ उठा सकते हैं। इसके माध्यम से सरकार इन कारीगरों को वित्तीय मदद, प्रशिक्षण, और अन्य सुविधाएं प्रदान कर रही है ताकि वे अपने व्यवसाय को फिर से शुरू कर सकें और आत्मनिर्भर बन सकें।
3 लाख रुपये तक का लोन
इस योजना के तहत, कारीगरों और शिल्पकारों को 3 लाख रुपये तक का लोन प्रदान किया जाएगा। यह लोन उन्हें अपने कारोबार को पुनः शुरू करने और उसे विस्तार देने के लिए दिया जाएगा। लोन पर 5% की सस्ती ब्याज दर होगी, और लोन की राशि दो किश्तों में दी जाएगी। इस लोन के लिए किसी प्रकार की संपार्श्विक गारंटी की आवश्यकता नहीं होगी, जिससे छोटे और मध्यम कारीगरों को भी इसे प्राप्त करना सरल होगा।
लोन के साथ मिलेगा प्रशिक्षण
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत, कारीगरों और शिल्पकारों को केवल वित्तीय सहायता ही नहीं बल्कि प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाता है। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य उन्हें व्यवसाय के नए तकनीकी पहलुओं से अवगत कराना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है। प्रशिक्षण के दौरान, कारीगरों को उनके व्यवसाय से जुड़ी आवश्यक जानकारी, कौशल, और आधुनिक उपकरणों का उपयोग सिखाया जाएगा।
लोन का लाभ कैसे मिलेगा?
इस योजना के तहत, कारीगरों को दो चरणों में लोन मिलेगा। पहले चरण में, जिन कारीगरों ने प्रशिक्षण पूरा किया है, उन्हें एक लाख रुपये तक का लोन मिलेगा। यदि वे इसे सफलतापूर्वक वापस करते हैं, तो उन्हें दो लाख रुपये तक का अतिरिक्त लोन दिया जाएगा। लोन की अदायगी में भी कुछ छूट दी जाती है, जैसे कि पहले एक लाख रुपये का लोन 18 महीनों में चुकाना होता है और उसके बाद दो लाख रुपये का लोन 30 महीनों में चुकाना होगा।
डिजिटल लेन-देन की आवश्यकता
योजना के तहत लोन लेने के लिए कारीगरों को अपने व्यवसाय में डिजिटल ट्रांजेक्शन को अपनाना होगा। इस कदम से न केवल व्यवसायों को आधुनिक बनाने में मदद मिलेगी, बल्कि यह पारदर्शिता और सुगमता भी लाएगा। सरकार इस पहल से यह सुनिश्चित करना चाहती है कि कारीगर और शिल्पकार अपने व्यवसाय को डिजिटल रूप में भी सशक्त बना सकें और व्यवसाय को व्यापक स्तर पर विस्तारित कर सकें।
आवेदन प्रक्रिया
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत आवेदन ऑनलाइन किया जा सकता है। इच्छुक लाभार्थी आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें अपनी व्यक्तिगत जानकारी, व्यवसाय की जानकारी और बैंक विवरण प्रस्तुत करना होगा। आवेदन के बाद, पात्रता की जांच की जाएगी और फिर लोन राशि जारी की जाएगी।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इस योजना के माध्यम से, सरकार उन्हें वित्तीय सहायता और प्रशिक्षण प्रदान कर रही है ताकि वे अपने पुराने व्यवसाय को फिर से शुरू कर सकें और आधुनिक समय के अनुरूप उसे सशक्त बना सकें। यह योजना ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के कारीगरों के लिए लाभकारी साबित हो सकती है, और उनकी आय को स्थिर करने में मदद कर सकती है।